फर्जी खबरों की अब खैर नहीं! रिसर्चर्स ने बनाया ऐसा AI जो झूठ को पल में पकड़ लेता है, जानिए कैसे

Jun 2, 2025 - 12:12
 0
फर्जी खबरों की अब खैर नहीं! रिसर्चर्स ने बनाया ऐसा AI जो झूठ को पल में पकड़ लेता है, जानिए कैसे

Artificial Intelligence: आज के डिजिटल दौर में सच्चाई से ज्यादा असरदार होती है एक अच्छी तरह सुनाई गई कहानी. कोई भावनात्मक किस्सा, मीम या निजी अनुभव, ये सभी चीज़ें हमारे मन में गहरी छाप छोड़ती हैं और हमारे सोचने का तरीका तक बदल देती हैं. लेकिन जब इन्हीं कहानियों का इस्तेमाल झूठ फैलाने के लिए किया जाए तो यही ताकत खतरनाक बन जाती है. अब रिसर्चर्स ने इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए AI की मदद लेनी शुरू कर दी है. वो अब ऐसे स्मार्ट टूल्स विकसित कर रहे हैं जो फेक और भ्रामक कंटेंट की पहचान करके उसे रोकने में मदद कर सकें.

Disinformation vs Misinformation

मिसइंफॉर्मेशन मतलब गलत जानकारी देना बिना किसी इरादे के जैसे किसी तथ्य को गलती से गलत कहना. वहीं, डिसइंफॉर्मेशन का मतलब होता है जानबूझकर झूठ फैलाना ताकि लोगों को गुमराह किया जा सके.

हम इंसान शुरू से ही कहानियों के ज़रिए दुनिया को समझते आए हैं. ये कहानियां हमारी सोच, भावनाओं और सामाजिक धारणाओं को आकार देती हैं. यहीं से झूठ फैलाने वाले अपने मिशन की शुरुआत करते हैं, वो ऐसी कहानियां गढ़ते हैं जो सच से ज्यादा भरोसेमंद लगें.

उदाहरण के तौर पर, “प्लास्टिक में फंसी एक कछुए की बचाव कहानी” हमें पर्यावरण डेटा से कहीं ज्यादा प्रभावित करती है. ऐसी ही भावनात्मक कहानियां सोशल मीडिया पर तेजी से फैलती हैं. अब AI इन कहानियों की बारीकियों, भावनाओं, और टाइमलाइन को समझकर ये तय करता है कि कौन सी कहानी गढ़ी हुई है और किसमें सच्चाई है.

AI कैसे पकड़ता है झूठी कहानियों को?

AI कई स्तरों पर काम करता है

AI यह जांचता है कि कहानी सुनाने वाला व्यक्ति कौन है. उदाहरण: @JamesBurnsNYT नाम सुनते ही भरोसेमंद पत्रकार की छवि बनती है जबकि @JimB_NYC थोड़ा कैजुअल लगता है. ऐसे नामों के ज़रिए कई फेक अकाउंट्स लोगों को भ्रमित करते हैं. AI इन नामों के पीछे की मंशा और पैटर्न को समझता है.

कहानी की टाइमलाइन को समझना

कई बार पोस्ट्स में घटनाएं सीधी रेखा में नहीं होतीं – कहीं से शुरुआत, कहीं फ्लैशबैक, बीच में ज़रूरी बातें छूट जाती हैं. AI अब ऐसी कहानियों में घटनाओं की सही क्रमबद्धता समझने में सक्षम हो रहा है.

संस्कृति का मतलब समझना

कहानी में प्रयोग हुए शब्द, रंग या प्रतीक हर संस्कृति में अलग अर्थ रखते हैं. जैसे, “सफेद कपड़े में खुश महिला” वेस्ट में शादी का प्रतीक हो सकती है लेकिन एशिया के कुछ हिस्सों में यह शोक का संकेत हो सकता है. AI को अब सांस्कृतिक सेंसिटिविटी के साथ ट्रेन किया जा रहा है ताकि ये अंतर पहचान सके.

किसे मिलेगा फायदा?

इंटेलिजेंस एजेंसियां इन टूल्स से फेक कैम्पेन्स का जल्दी पता लगाकर समय रहते प्रतिक्रिया दे सकती हैं. आपदा प्रबंधन एजेंसियां किसी प्राकृतिक आपदा के दौरान फैलाई जा रही गलत सूचनाओं को तुरंत पकड़ सकती हैं. सोशल मीडिया कंपनियां AI के जरिए हाई-रिस्क कंटेंट को ह्यूमन रिव्यू के लिए भेज सकती हैं, बिना ओवर-सेंसरशिप के. शोधकर्ता अलग-अलग समुदायों में फैल रही कहानियों के विकास और प्रभाव को बेहतर ढंग से ट्रैक कर सकते हैं. आम यूज़र को भी फायदा होगा, AI रियल टाइम में उन्हें अलर्ट करेगा कि जो वे पढ़ रहे हैं, उसमें झूठ की संभावना है.

यह भी पढ़ें:

SIM Swap Fraud: एक चूक और नंबर से हाथ धो बैठेंगे, जानिए कैसे करें बचाव

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0
Barwara Patrika Barwara Patrika is a Hindi newspaper published and circulated in Jaipur , Ajmer , Sikar, Kota and Sawaimadhopur . Barwara Patrika covers news and events all over from India as well as international news, it serves the Indian community by providing relevant information.