निजी स्कूलों की मनमानी,शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) पर संकट: नन्हे बच्चों के साथ अभिभावकों का धरना प्रदर्शन,
राजधानी के शिक्षा संकुल परिसर में बुधवार को एक भावुक और आक्रोशित दृश्य देखने को मिला, जब सैकड़ों अभिभावक अपने नन्हे बच्चों के साथ RTE (Right to Education) के तहत दाखिला न मिलने के विरोध में धरने पर बैठ गए। बच्चों की मासूम आंखों में स्कूल जाने की उम्मीद थी, लेकिन निजी स्कूलों की मनमानी ने उन्हें घर बैठने को मजबूर कर दिया।
बरवाड़ा पत्रिका @जयपुर, - राजधानी के शिक्षा संकुल परिसर में बुधवार जयपुर, 23 जुलाई 2025 को एक भावुक और आक्रोशित दृश्य देखने को मिला, जब सैकड़ों अभिभावक अपने नन्हे बच्चों के साथ RTE (Right to Education) के तहत दाखिला न मिलने के विरोध में धरने पर बैठ गए। बच्चों की मासूम आंखों में स्कूल जाने की उम्मीद थी, लेकिन निजी स्कूलों की मनमानी ने उन्हें घर बैठने को मजबूर कर दिया।
बच्चों की पीड़ा: "हम स्कूल कब जाएंगे?" प्रियांश और सिद्धि, जिनका RTE लॉटरी में चयन हुआ, स्कूल की बजाय शिक्षा संकुल के बाहर विरोध करते दिखे। तनुश्री की मां नैना कोटिया ने बताया कि पति के निधन के बाद आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई, RTE ही एकमात्र सहारा था। लेकिन स्कूल ने दाखिला देने से इनकार कर दिया। कियारा की मां मालती अलोरिया भी इसी पीड़ा से गुजर रही हैं,स्कूल और विभाग दोनों से कोई सुनवाई नहीं हो रही हे I
अभिभावक संघ का आक्रोश ,संयुक्त अभिभावक संघ अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने बताया कि करीब 80,000 बच्चों का चयन हुआ, लेकिन 18,000 से अधिक बच्चों को अब तक दाखिला नहीं मिला।अकेले जयपुर में 1500 बच्चे अभी भी स्कूल से वंचित हैं।संघ ने चेतावनी दी है कि यदि 7 दिनों में समाधान नहीं हुआ तो अगला प्रदर्शन उग्र होगा।
शिक्षा मंत्री का बयान मंत्री मदन दिलावर ने निजी स्कूलों को चेताया: “सरकार के निर्देशों की पालना नहीं करेंगे तो सरकार पालना कराना भी जानती है।”
उन्होंने बताया कि इस कार्यकाल में स्कूलों को ₹2000 करोड़ का भुगतान किया गया है, फिर भी दाखिला नहीं देना दुर्भाग्यपूर्ण है।
हेल्पलाइन नंबर जारी: 9772377755 जहा अभिभावक अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं
What's Your Reaction?






