Rajasthan: अजमेर दरगाह पर लगा सार्वजनिक नोटिस, मुस्लिम संगठनों ने जताई नाराजगी, जानें- पूरा मामला

राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह से जुड़े एक नए मामले पर विवाद शुरू होता दिख रहा है. दरगाह के नाजिम द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक सार्वजनिक नोटिस ने कई मुस्लिम संगठनों की नाराजगी को जन्म दे दिया है.
जयपुर में 21 जुलाई को जारी इस डिजिटल हस्ताक्षरित नोटिस में नाजिम मोहम्मद बिलाल खान ने दरगाह परिसर के पुराने ढांचों से जुड़ी किसी भी संभावित दुर्घटना के लिए प्रबंधन को कानूनी रूप से जिम्मेदार नहीं मानने की बात कही है. पीटीआई के अनुसार, संगठनों ने इसे धार्मिक स्थल की गरिमा के खिलाफ बताते हुए 'जिम्मेदारी से भागने वाला' रवैया करार दिया है.
क्या हैं मुस्लिम संगठनों की आपत्तियां?
मुस्लिम प्रोग्रेसिव फेडरेशन ने इस नोटिस को “शर्मनाक” बताया और कहा कि इससे यह प्रतीत होता है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहा है. फेडरेशन अध्यक्ष अब्दुल सलाम जौहर ने नाजिम को पत्र लिखते हुए कहा कि एक सामूहिक आध्यात्मिक केंद्र पर इस तरह का अस्वीकरण निंदनीय है. सह-हस्ताक्षरकर्ता सैय्यद अनवर शाह आदिल खान ने सुझाव दिया कि प्रबंधन को खतरनाक क्षेत्रों की पहचान कर उनकी मरम्मत करनी चाहिए, न कि जिम्मेदारी से बचना चाहिए.
अजमेर शरीफ कोई आम पर्यटन स्थल नहीं- मोहसिन रशीद
राजस्थान मुस्लिम एलायंस के अध्यक्ष मोहसिन रशीद ने कहा कि अजमेर शरीफ कोई आम पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि यह एक श्रद्धा और आस्था का केंद्र है. उन्होंने इस नोटिस को “कर्तव्य की अनदेखी” करार दिया और कहा कि प्रबंधन कानूनी और नैतिक दोनों रूपों में जवाबदेह है. सोशल मीडिया पर भी इस नोटिस के खिलाफ विरोध देखने को मिला, जिसमें कई यूज़र्स ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय से हस्तक्षेप की मांग की है.
क्या कहता है नोटिस और क्या हैं लोगों की मांग?
नोटिस में दरगाह आने वाले श्रद्धालुओं को परिसर के पुराने ढांचे के संभावित जोखिमों को लेकर आगाह किया गया है और स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी दुर्घटना की स्थिति में प्रबंधन जिम्मेदार नहीं होगा. इस पर आपत्ति जताने वाले लोगों का कहना है कि प्रशासन को अस्वीकरण हटाकर सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देनी चाहिए.
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