'मेरे दादा स्वतंत्रता सेनानी थे, उन्हें गलत तरीके से दिखाया गया', बंगाल फाइल्स फिल्म की रिलीज पर रोक की मांग वाली याचिका HC में खारिज

फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' की रिलीज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. सोमवार (8 सितंबर, 2025) को कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य न बताते हुए उसे खारिज कर दिया. याचिका गोपाल चंद्र मुखर्जी के पोते शांतनु मुखर्जी ने दाखिल की थी. उनका कहना है कि फिल्म में उनके दादा जी को गलत तरीके से चित्रित किया गया है.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार शांतनु मुखर्जी ने कहा कि उनके दादा एक स्वतंत्रता सेनानी थे और 1940 के दशक में बोबाजार में उनकी बकरे के मांस की दुकान थी. जस्टिस अमृता सिन्हा ने याचिका को विचार योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया.
फिल्म अगस्त 1946 में कोलकाता में हुए सांप्रदायिक दंगों पर आधारित है. इन दंगों को 'ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स' के नाम से जाना जाता है. याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से कहा कि शांतनु मुखर्जी ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को आरटीआई आवेदन दाखिल किया था, जिसमें फिल्म में उनके दादा के चित्रण का आकलन करने में बोर्ड की भूमिका पर सवाल उठाया गया था.
उन्होंने दलील दी कि निर्धारित अवधि समाप्त होने के बावजूद, मांगी गई जानकारी प्रदान नहीं की गई. सीबीएफसी के वकील ने कहा कि आरटीआई आवेदन का कोई जवाब नहीं मिलने के बाद याचिकाकर्ता ने निर्धारित समय में फिल्म की रिलीज के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की.
एक प्रतिवादी के वकील ने भी कहा कि फिल्म पहले ही पूरे देश में दिखाई जा चुकी है, इसलिए अब याचिका का कोई मतलब नहीं बनता है. सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, जस्टिस अमृता सिन्हा ने कहा कि याचिकाकर्ता को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत निर्धारित सुविधा का लाभ उठाना चाहिए. उन्होंने रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.
शांतनु मुखर्जी ने एक तस्वीर पेश करते हुए आरोप लगाया कि फिल्म में गोपाल चंद्र मुखर्जी को अपमानजनक रूप से पथा (बकरी के लिए एक बांग्ला शब्द) कहा गया है. उन्होंने कहा कि फिल्म में उनके दादा को 16 अगस्त, 1946 की घटनाओं में शामिल दिखाकर गलत तरीके से चित्रित किया गया है.
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