48 घंटे की भूख हड़ताल, इंजीनियर राशिद का सीधा सवाल- 'क्रिकेट खेल सकते हो, दर्द नहीं सुन सकते?'

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है. अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) के मुख्य प्रवक्ता इनाम उन नबी ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल में बंद बारामुला से सांसद इंजीनियर राशिद का एक पत्र सार्वजनिक किया. इस पत्र में इंजीनियर राशिद ने 20 सितंबर को सुबह 11 बजे से शुरू होकर 48 घंटे तक चलने वाली भूख हड़ताल का ऐलान किया है.
पत्र में इंजीनियर राशिद ने इस भूख हड़ताल को एक प्रतीकात्मक विरोध करार दिया. उन्होंने कहा कि उनका यह कदम भारत और पाकिस्तान की पाखंडपूर्ण राजनीति के खिलाफ है. उनका आरोप है कि दोनों देश एशिया कप जैसे क्रिकेट आयोजनों के जरिए जनता को गुमराह कर रहे हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर के लोगों की कुर्बानियों और पीड़ा को अनदेखा किया जा रहा है.
1989 से अब तक 70 हजार लोग गंवा चुके हैं अपनी जान
इंजीनियर राशिद ने कहा कि 1989 से अब तक जम्मू-कश्मीर में लगभग 70 हजार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. उनके अनुसार, इसके लिए दोनों देशों की आपसी दुश्मनी जिम्मेदार है. उन्होंने दुख जताया कि "जम्मू-कश्मीर के लोग शांति को सबसे ज्यादा चाहते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इस क्षेत्र को अनैतिक और अव्यावहारिक राजनीतिक प्रयोगों की प्रयोगशाला बना दिया गया है।"
जम्मू-कश्मीर के लोगों की पीड़ा क्यों नहीं सुनते- राशिद
पत्र में उन्होंने भारत और पाकिस्तान से सवाल किया कि जब दोनों देश क्रिकेट खेल सकते हैं, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक साथ खड़े हो सकते हैं और ट्रैक-2 वार्ता कर सकते हैं, तो फिर वे जम्मू-कश्मीर के लोगों की पीड़ा क्यों नहीं सुनते. सांसद ने सिविल सोसाइटी, न्यायपालिका, मीडिया और दोनों देशों के राजनीतिक दलों से अपील की कि वे केवल भाषण बाजी से आगे बढ़ें और कश्मीरियों के वैध राजनीतिक व मानवीय अधिकारों का सम्मान करें.
पाकिस्तान पर राशिद ने भी किया करारा प्रहार
इंजीनियर राशिद ने पाकिस्तान पर भी करारा प्रहार किया. उन्होंने लिखा कि "जिन कश्मीरी नेताओं को कभी पाकिस्तान में भारतीय एजेंट करार दिया जाता था, आज वही पाकिस्तानी नेता भारतीय क्रिकेटरों से हाथ मिलाने की कोशिश कर रहे हैं. ये वही खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी जीत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को समर्पित की."
जेल में राशिद ने की भूख हड़ताल
पत्र के अंत में इंजीनियर राशिद ने कहा कि यह भूख हड़ताल भारत और पाकिस्तान दोनों की जनता की अंतरात्मा को जगाने की कोशिश है ताकि वे कश्मीरियों के निरंतर दुख, संघर्ष और अधिकारों की अनदेखी को समझ सकें. इस पत्र की प्रति उनके वकील विख्यात ओबेरॉय और वकील जावेद हुब्बी समेत उनके परिवार को भी भेजी गई है.
What's Your Reaction?






