'मुसलमानों की अस्मिता पर हमला', बटला हाउस एनकाउंटर की बरसी पर उलेमा कौंसिल का प्रदर्शन

Sep 20, 2025 - 13:30
 0
'मुसलमानों की अस्मिता पर हमला', बटला हाउस एनकाउंटर की बरसी पर उलेमा कौंसिल का प्रदर्शन

17 साल पहले दिल्ली में बटला हाउस एनकाउंटर की आंच अभी भी ठंडी नहीं पड़ी है. इस पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग लगातार जारी है. इसी को लेकर 16वीं बरसी पर राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल ने शुक्रवार को आजमगढ़ कलेक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन किया. संगठन ने इस घटना की न्यायिक जांच की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम संबोधित एक ज्ञापन प्रशासन को सौंपा. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि यह एनकाउंटर मुस्लिम नौजवानों को निशाना बनाने की साजिश थी, और सभी सत्ताधारी दलों ने जांच से बचने की कोशिश की है.

क्या था बटला हाउस एनकाउंटर मामला ?

बता दें कि 19 सितम्बर 2008 में दिल्ली पुलिस द्वारा की गई इस कार्रवाई में दो बेकसूर मुस्लिम छात्र आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद (दोनों आजमगढ़ के निवासी) की हत्या कर दी गई थी. पुलिस का दावा था कि यह इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों पर छापेमारी थी, लेकिन उलेमा कौंसिल और मानवाधिकार संगठनों ने इसे फर्जी एनकाउंटर करार दिया. इस दौरान एक पुलिस इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की भी मौत हो गई, जिसे प्रदर्शनकारियों ने आंतरिक कलह का नतीजा बताया.

राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के प्रदेश अध्यक्ष अनिल सिंह ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के गृह मंत्री के इशारे पर यह साजिश रची गई. मुस्लिम नौजवानों को बलि का बकरा बनाकर कांग्रेस ने अपनी लाज बचाई. आजमगढ़ से दिल्ली तक हमने लगातार विरोध प्रदर्शन किए, लेकिन न कांग्रेस, न भाजपा और न ही केजरीवाल ने जांच कराई।. यह न सिर्फ मुसलमानों, बल्कि पूरे देश के न्यायप्रिय नागरिकों के लिए सवाल है.

कानूनी उल्लंघन पर सवाल: CrPC धारा 176 का हवाला

प्रदेश युवा अध्यक्ष नुरुल हुदा एडवोकेट ने जोर देकर कहा कि एनकाउंटर के बाद सरकारों ने सीआरपीसी धारा 176 का पालन नहीं किया, जो पुलिस टकराव में मौत पर मजिस्ट्रेट जांच अनिवार्य बनाती है. उन्होंने कहा कि एक बहादुर पुलिस अफसर और दो छात्रों की मौत हुई, फिर भी जांच क्यों नहीं? अगर एनकाउंटर सही था तो जांच में सच ही सामने आएगा, यह मुसलमानों की अस्मिता पर हमला है. भाजपा 'सबका साथ, सबका विकास' कहती है, लेकिन न्याय के बिना विकास संभव नहीं. हम तब तक मांग दोहराएंगे जब तक सरकार मान न ले.

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि आजादी के बाद मुसलमानों का शोषण जारी है. सांप्रदायिक दंगों से लेकर फर्जी आतंकवाद के मामलों और अब मॉब लिंचिंग तक. जिला अध्यक्ष नोमान अहमद ने कहा कि सेकुलर दल हमें वोट बैंक बनाते हैं, लेकिन हमारी समस्याओं पर चुप रहते हैं. न्यायिक जांच ही सच्चाई उजागर करेगी.

हर साल करते हैं प्रदर्शन

बटला हाउस एनकाउंटर के बाद आजमगढ़ से 14 युवाओं को गिरफ्तार किया गया, जिन्हें कई बम ब्लास्ट से जोड़ा गया. कई अभी भी जेल में हैं, और परिवार न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं. राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल ने 2008 से हर साल प्रदर्शन आयोजित किए हैं, जिसमें 2009 में आगरा से दिल्ली तक ट्रेन भरकर उलेमा को लाया गया था. संगठन के संस्थापक मौलाना आामिर राशादी ने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया है.

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0
Barwara Patrika Barwara Patrika is a Hindi newspaper published and circulated in Jaipur , Ajmer , Sikar, Kota and Sawaimadhopur . Barwara Patrika covers news and events all over from India as well as international news, it serves the Indian community by providing relevant information.