iPhone-Samsung के प्रीमियम फोन्स के साथ क्यों नहीं मिलता है चार्जर? जाने क्या है राज

iPhone-Samsung Charger: स्मार्टफोन बाजार में बदलाव अक्सर देखने को मिलते हैं. पहले जब भी कोई नया फोन खरीदा जाता था तो उसके बॉक्स में चार्जर और ईयरफोन जरूर होते थे. लेकिन अब Apple और Samsung जैसे दिग्गज ब्रांड्स ने अपने प्रीमियम स्मार्टफोन्स के बॉक्स से चार्जर हटाना शुरू कर दिया है. इससे ग्राहक असमंजस में रहते हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है. आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे का राज.
पर्यावरण संरक्षण की दलील
Apple ने सबसे पहले iPhone 12 सीरीज़ से बॉक्स से चार्जर हटाने की शुरुआत की थी. कंपनी का कहना था कि दुनिया भर में करोड़ों लोग पहले से चार्जर इस्तेमाल कर रहे हैं. अगर हर नए फोन के साथ चार्जर दिया जाए तो इलेक्ट्रॉनिक कचरा (E-Waste) काफी बढ़ जाएगा. Samsung ने भी यही तर्क अपनाते हुए अपने फ्लैगशिप स्मार्टफोन्स के बॉक्स से चार्जर हटाना शुरू कर दिया. कंपनियों के मुताबिक, यह कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जरूरी है.
पैकेजिंग और शिपिंग का फायदा
चार्जर हटाने की एक और वजह है छोटे बॉक्स और आसान ट्रांसपोर्टेशन. चार्जर और एक्सेसरीज हटने से पैकेजिंग पतली और हल्की हो जाती है. इससे एक बार में ज्यादा फोन्स शिप किए जा सकते हैं. नतीजतन ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट कम होती है और कार्बन उत्सर्जन भी घटता है. यानी कंपनियां इसे भी पर्यावरण हितैषी कदम बताती हैं.
कंपनियों का मुनाफा
हालांकि असली सच यह भी है कि चार्जर हटाकर कंपनियां अपना मुनाफा बढ़ाती हैं. iPhone का ओरिजिनल चार्जर करीब 2000–2500 रुपये में आता है, वहीं Samsung का फास्ट चार्जर भी 1500 रुपये से ऊपर का होता है. जब ग्राहक को इन्हें अलग से खरीदना पड़ता है तो यह कंपनियों के लिए अतिरिक्त कमाई का जरिया बन जाता है. यानी यह फैसला केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि राजस्व बढ़ाने की रणनीति भी है.
फास्ट चार्जिंग टेक्नोलॉजी का बहाना
आजकल हर साल चार्जिंग टेक्नोलॉजी में बदलाव हो रहा है. अलग-अलग मॉडल्स अलग वॉटेज की चार्जिंग सपोर्ट करते हैं. कंपनियों का कहना है कि हर फोन के साथ एक ही चार्जर देना व्यावहारिक नहीं है. बेहतर यही है कि यूजर अपनी जरूरत और फोन की चार्जिंग क्षमता के हिसाब से अलग से चार्जर खरीदे. हालांकि कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह बात ग्राहकों से ज्यादा कंपनियों के फायदे में है.
ग्राहकों पर असर
इस कदम का सबसे ज्यादा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ता है. अगर किसी के पास पहले से कंपेटिबल चार्जर नहीं है, तो उसे नया चार्जर खरीदना ही पड़ेगा. ऐसे में फोन की असली कीमत उस मूल्य से कहीं ज्यादा हो जाती है जो लॉन्च के समय बताई जाती है.
iPhone और Samsung जैसे प्रीमियम ब्रांड्स ने चार्जर हटाने का फैसला आधिकारिक तौर पर पर्यावरण और टिकाऊ पैकेजिंग के नाम पर लिया है. लेकिन इसके पीछे कंपनियों के मुनाफे की रणनीति को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. ग्राहकों के लिए यह कदम थोड़ा महंगा साबित होता है लेकिन धीरे-धीरे यह ट्रेंड स्मार्टफोन इंडस्ट्री में नया नॉर्मल बन चुका है.
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