India-China Fighter Jet: भारत का Rafale F4 या चीन का J-35A फाइटर जेट! कौन ज्यादा ताकतवर, जानें मिलिट्री कंपैरिजन

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र आज दुनिया की सबसे संवेदनशील जगह बन चुका है. ऐसे माहौल में भारत फ्रांस से 114 राफेल F4 फाइटर जेट खरीदने की तैयारी कर रहा है. दूसरी ओर चीन ने J-35A स्टील्थ फाइटर दुनिया के सामने पेश किया है.
भारत के पास राफेल के अलावा भी कई फाइटर जेट हैं, जिसमें सुखोई और तेजस शामिल है. हालांकि, इसके बावजूद राफेल एक ऐसा फाइटर जेट है, जिसने कई बार अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है. हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में राफेल ने पड़ोसी मुल्क के छक्के छुड़ा दिए थे.
राफेल F4 भारत की सुरक्षा की ढाल
राफेल F4 फ्रांस का सबसे आधुनिक मल्टीरोल फाइटर जेट है. इसमें स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम है, जो दुश्मन की लंबी दूरी की मिसाइलों को चकमा दे सकता है. इसका थेल्स AESA रडार और OSF IRST पायलट को पहले दुश्मन को देखने का फायदा देता है. मेटोर मिसाइल इसका सबसे बड़ा हथियार है, जिसे चीन की PL-15 से भी बेहतर माना जाता है. राफेल की खासियत यह है कि यह एयर सुपीरियॉरिटी, ग्राउंड स्ट्राइक, न्यूक्लियर अटैक और रीकॉन मिशन एक साथ कर सकता है. इसका डेल्टा-कैनार्ड डिजाइन इसे बेहद फुर्तीला बनाता है. भारत इसे अपने AWACS और Su-30MKI नेटवर्क से जोड़कर किल-चेन वॉरफेयर का हिस्सा बनाएगा.
J-35A चीन का नया स्टील्थ हथियार
J-35A चीन का दूसरा पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर है. इसे पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए बनाया गया था, लेकिन अब इसका जमीनी वर्जन भी है. इसका डिजाइन रडार की पकड़ में आना मुश्किल बनाता है. इंटरनल वेपन बे और PL-15 व PL-10 मिसाइलें इसे लंबी दूरी और डॉगफाइट दोनों में खतरनाक बनाती हैं. चीन का दावा है कि इसका WS-19 इंजन इसे सुपरसोनिक स्पीड देता है, लेकिन युद्धक्षेत्र में यह अभी परखा नहीं गया. चीन इसे अपने UAVs और J-20 जैसे फाइटर्स के साथ जोड़कर इस्तेमाल करना चाहता है.
युद्ध के मैदान में राफेल और J-35A की तुलना
J-35A BVR तकनीक से लैस है. ये इसे शुरुआती बढ़त देता है, लेकिन राफेल का स्पेक्ट्रा सूट और मेटोर मिसाइल इस बढ़त को कमजोर कर सकते हैं. डॉगफाइट में राफेल F4 अपनी फुर्ती और हेलमेट-माउंटेड साइट की वजह से J-35A पर भारी पड़ सकता है. J-35A की मैन्युवरबिलिटी और इंजन अभी सवालों में हैं. राफेल भारत के AWACS, Su-30MKI और ग्राउंड रडार से जुड़कर चीन की स्टील्थ बढ़त को संतुलित कर सकता है. चीन अपने UAVs और संख्या बल पर भरोसा कर रहा है.
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