हिमाचल के CM सुखविंदर सुक्खू ने 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष से की मुलाकात, किया ये आग्रह

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को नई दिल्ली में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया से भेंट कर हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति से संबंधित विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश पिछले तीन सालो से प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिसमें अनगिनत बहुमूल्य जानें गईं हैं तथा प्रदेश को 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. पर्यावरण और बुनियादी ढांचे को हुआ नुकसान अत्यधिक गंभीर है.
'हिमाचल का 67 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र वन भूमि'
मुख्यमंत्री ने अवगत कराया कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी जुलाई 2025 में यह टिप्पणी की थी कि राजस्व अर्जित करने के लिए पर्यावरण और प्रकृति से समझौता नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे पूरे प्रदेश को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है.
उन्होंने कहा कि एक पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल की राजस्व वृद्धि की अपनी सीमाएं हैं, इसके बावजूद सरकार को संवैधानिक दायित्वों के तहत आवश्यक जनसेवाएं देनी पड़ती हैं. प्रदेश का 67 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र वन भूमि होने के कारण राज्य के पास सीमित विकल्प बचे हैं.
RDG न्यूनतम 10 हजार करोड़ तय करने का आग्रह
मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि हिमाचल प्रदेश जैसे राजस्व घाटे वाले पहाड़ी राज्यों के लिए राजस्व घाटा अनुदान (RDG) जारी रहनी चाहिए. राज्य सरकार ने अनुदान की निरंतरता और मात्रा मुख्य ज्ञापन और अतिरिक्त ज्ञापन के माध्यम से वित्त आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है.
उन्होंने RDG को कम नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इसे राज्य की आय-व्यय की यथार्थपरक स्थिति के आधार पर तय किया जाना चाहिए. उन्होंने RDG की न्यूनतम राशि 10,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष निर्धारित करने का आग्रह किया.
ग्रीन फंड और जंगल संरक्षण पर जोर
सुक्खू ने कहा कि राज्य ने वित्त आयोग से जंगल और पर्यावरण से जुड़े मानकों को अधिक महत्व देने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि बर्फ से ढके ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्रों, यानी वृक्ष रेखा से ऊपर के क्षेत्रों, को भी घने और मध्य-घने जंगलों में शामिल किया जाए, क्योंकि इनका आपसी संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण है.
उन्होंने पहाड़ी राज्यों से देश को दी जा रही पारिस्थितिकीय सेवाओं के एवज में हिमाचल प्रदेश ने वार्षिक 50,000 करोड़ रुपये का एक अलग ‘ग्रीन फंड’ सृजित करने का आग्रह किया है. यह फंड किसी योजना के रूप में या फिर विशेष केंद्रीय सहायता के अंतर्गत पूंजी निवेश के लिए निर्धारित किया जा सकता है.
15वें वित्त आयोग का DRI फिर से तैयार करने की जरूरत- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने कहा कि 15वें वित्त आयोग से तैयार की गई आपदा जोखिम सूचकांक (DRI) को नए सिरे से तैयार करने की आवश्यकता है, क्योंकि आपदा की दृष्टि से हिमालयी क्षेत्र की शेष भारत से तुलना नहीं की जा सकती.
उन्होंने कहा कि एक समान प्रारूप में तैयार किया गया सूचकांक भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटने, जंगल की आग और ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) जैसी आपदाओं को शामिल नहीं करता, जबकि हाल के सालो में इन खतरों की आवृत्ति और प्रभाव पर्वतीय क्षेत्रों में काफी बढ़ा है.
पहाड़ी राज्यों के लिए विशेष फंड देने की मांग
मुख्यमंत्री ने कहा कि कम DRI होने के कारण हिमाचल प्रदेश को 15वें वित्त आयोग से आपदा राहत के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं मिले, जबकि प्रदेश में आपदाओं का असर कहीं अधिक रहा. उन्होंने पहाड़ी राज्यों के लिए विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अलग से DRI तैयार करने का आग्रह किया.
इसके आधार पर पहाड़ी राज्यों के लिए अलग फंड बनाया जाए और उससे नए DRI के अनुसार राज्यों में वितरित किया जाए. उन्होंने कहा कि 16वां वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, इसलिए हिमाचल प्रदेश से उठाई गई मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए ताकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सके.
उन्होंने पनगढ़िया को आश्वासन दिया कि प्रदेश सरकार राज्य में वित्तीय अनुशासन और राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास सुनिश्चित करेगी.
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