जब 11 साल की उम्र में गद्दी के साथ छीन लिया गया कोहिनूर, फिर बदलवाया धर्म और...

उत्तराखंड की हसीन वादियों 1852 और 1853 की गर्मियों के दौरान एक शाही कैदी की कहानी काफी प्रचलित है. यह कैदी कोई और नहीं बल्कि महाराजा दलीप सिंह थे. वह सिख साम्राज्य के आखिरी शासक और महान महाराजा रणजीत सिंह के पुत्र थे. 1849 में हुए दूसरे एंग्लो-सिख युद्ध के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने पंजाब को हड़प लिया. सिर्फ 11 साल की उम्र में दलीप सिंह से गद्दी, खजाना और कोहिनूर हीरा छीन लिया गया. पहले उन्हें उत्तर प्रदेश के फतेगढ़ ले जाया गया, जहां उनको ईसाई धर्म अपनाने पर मजबूर किया गया. फिर उन्हें मसूरी भेजा गया, लेकिन मेहमान बनकर नहीं, बल्कि कड़ी निगरानी वाले कैदी की तरह.
आज के वक्त में जहां शानदार JP Manor Hotel खड़ा है, वहीं कभी महाराजा दलीप सिंह को ब्रिटिश निगरानी में रखा गया था. यह जगह कभी सस्पेंशन ब्रिज से सेंट जॉर्ज कॉलेज तक जुड़ती थी. 1936 तक यह स्थान एक मठ (Convent) के रूप में उपयोग होता रहा. यही वह जगह है, जहां भारत का आखिरी सिख राजा अपने टूटे हुए सपनों और खोई हुई पहचान के साथ कैद रहा.
लॉगिन दंपत्ति और अंग्रेजी रंग
दलीप सिंह की देखभाल का जिम्मा था सर जॉन स्पेंसर लॉगिन और उनकी पत्नी लेडी लॉगिन के पास. लेडी लॉगिन की किताब Sir John Login and Duleep Singh में लिखा है कि महाराजा को क्रिकेट बेहद पसंद था. उनके लिए एक खास मैदान बनाया गया, जो आज सेंट जॉर्ज कॉलेज की एस्टेट का हिस्सा है. ब्रिटिश हुकूमत का मकसद साफ था कि दलीप सिंह की शिक्षा और रहन-सहन को धीरे-धीरे अंग्रेजी रंग में ढाला जाए. दलीप सिंह का एडमिशन मसूरी के मेडॉक स्कूल (आज का Savoy Hotel) में कराया गया. वहां उन्होंने ब्रिटिश बच्चों के साथ पढ़ाई और खेलकूद की.
उन्हें पंजाबी खाना तो मिलता, लेकिन अंग्रेजी स्वाद की आदत डाली जा रही थी. किसी मेले या सार्वजनिक आयोजन में शामिल होने की इजाज़त नहीं थी. हां, क्रिकेट मैच, पिकनिक और बैंड परेड जैसे नियंत्रित कार्यक्रमों में भाग लेने दिया जाता था. इस तरह से उन्हें शाही आदतों से दूर रखा जाने लगा.
मसूरी में बिखरे इतिहास के निशान
इतिहासकार गोपाल भारद्वाज कहते हैं कि आज मसूरी आने वाले लोग JP Manor Hotel को सिर्फ एक लग्ज़री स्थल मानते हैं, लेकिन यह जगह कभी एक शाही त्रासदी की गवाह रही है. यहां एक किशोर राजा ने अपनी गद्दी, अपना साम्राज्य और अपनी पहचान खो दी.
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