मालेगांव ब्लास्ट मामले में 31 जुलाई तक टला फैसला, NIA कोर्ट ने HC से मांगा समय, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर बोलीं- 'सत्यमेव जयते'

May 8, 2025 - 16:00
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मालेगांव ब्लास्ट मामले में 31 जुलाई तक टला फैसला, NIA कोर्ट ने HC से मांगा समय, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर बोलीं- 'सत्यमेव जयते'

Malegaon Blast News: मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने गुरुवार (8 मई)  को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में  फैसला 31 जुलाई तक के लिए टाल दिया. जज ने कहा कि इस मामले में बहुत सारे दस्तावेज हैं और फैसला सुनाने के लिए कुछ और समय चाहिए. इससे पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने 19 अप्रैल को लगभग 17 साल पहले हुए  विस्फोट मामले में अपना फैसला 8 मई के लिए सुरक्षित रख लिया था. 

विशेष एनआईए अदालत द्वारा साल 2008 मालेगांव बम विस्फोट मामले में फैसला 31 जुलाई तक टालने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, "31 जुलाई की तारीख पर फैसला आएगा. यह मामला 17 साल से चल रहा है. सत्य की हमेशा जीत हुई है और एक बार फिर सच की ही जीत होगी."

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने आगे कहा, "आज फैसला आने वाला नहीं था.  इससे पहले की सुनवाई के दिन जज साहब ने जैसे डेट देते हैं, उसी तरह से आज का डेट दिया था. जज साहब ने कहा कि फैसला देने में समय लगता है. किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. अगली डेट 31 जुलाई की है. उसी दिन फैसला आएगा. सत्यमेव जयते."

31 जुलाई को सभी आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश 

इस मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश ए. के. लाहोटी ने अदालत में मौजूद आरोपियों से कहा कि मामले में बहुत सारे दस्तावेज हैं और फैसला सुनाने में कुछ समय लगेगा. उन्होंने मामले के सभी आरोपियों को अगली तारीख 31 जुलाई को मौजूद रहने को कहा. 

मालेगांव विस्फोट: 6 लोगों की हुई थी मौत

29 सितंबर, 2008 को उत्तरी महाराष्ट्र के मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हुई थी. 100 से अधिक लोग घायल हुए थे. 

34 गवाह बयान देने से मुकरे 

मालेगांव ब्लास्ट मामले में मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की. इनमें से 34 गवाह मुकर गए. इस केस में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, बीजेपी नेता प्रज्ञा ठाकुर, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी इस मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम या यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मुकदमे का सामना कर रहे हैं. 

2011 में एनआईए को सौंपे जाने से पहले इस मामले की जांच शुरू में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने की थी. 

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