योगी सरकार ने गरीब बच्चों को दी उड़ान की ताकत, 1 लाख से ज्यादा बच्चों को मिला मुफ्त शिक्षा का मौका

UP News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार गरीब और जरूरतमंद बच्चों के सपनों को पंख दे रही है. ‘शिक्षा सबका अधिकार है’ की सोच को ज़मीन पर उतारते हुए सरकार ने 1.06 लाख से ज्यादा बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिला दिलवाया है. यह सब हुआ है शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानी आरटीई (RTE) के तहत. इस योजना के ज़रिए सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि किसी भी गरीब परिवार का बच्चा सिर्फ पैसे की कमी के कारण स्कूल से बाहर न रह जाए.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बेसिक शिक्षा विभाग ने इस योजना को मिशन मोड में चलाया है. आंकड़े बताते हैं कि इस बार आरटीई के तहत कुल 3,34,953 आवेदन आए थे, जिनमें से 2,52,269 आवेदन स्वीकृत हुए. इनमें से 1,85,675 बच्चों को निजी स्कूलों के लिए सीट अलॉट की गई, और अब तक 1,06,592 बच्चों का दाखिला सफलतापूर्वक हो चुका है.
चार चरणों में चली दाखिले की प्रक्रिया
यह पूरा अभियान चार चरणों में चलाया गया. पहले चरण (1-20 दिसंबर 2024) में 1,32,446 आवेदन आए, जिनमें से 1,03,058 स्वीकृत हुए और 71,381 बच्चों को सीट मिली. दूसरे चरण (1-20 जनवरी 2025) में 95,590 आवेदन, 71,015 स्वीकृति और 50,638 अलॉटमेंट हुए. तीसरे चरण (1-20 फरवरी 2025) में 60,391 में से 44,592 स्वीकृत हुए, और 35,452 को सीट मिली. चौथे चरण (1-20 मार्च 2025) में 46,526 आवेदन में से 34,604 स्वीकृत और 28,204 अलॉटमेंट हुए.
बस्ती जिला सबसे आगे, 10 जिलों ने किया शानदार काम
नामांकन के मामले में बस्ती जिला 93% दाखिलों के साथ पहले नंबर पर है. उसके बाद हरदोई (90%) और एटा (88%) का स्थान है. बलरामपुर, बदायूं और श्रावस्ती (87%) पर, देवरिया (86%), ललितपुर और महोबा (84%) और जौनपुर (83%) भी टॉप 10 जिलों में शामिल हैं.
सामाजिक न्याय का बड़ा कदम
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि योगी सरकार चाहती है कि हर बच्चा, चाहे वह किसी भी वर्ग या इलाके से आता हो, उसे अच्छी शिक्षा मिले. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि सामाजिक बराबरी और बच्चों के भविष्य को मजबूत करने का प्रयास है.
आरटीई एक्ट यानी शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में लागू हुआ था. इसके तहत निजी स्कूलों को पहली कक्षा में 25% सीटें गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होती हैं. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार इस कानून को पूरी ईमानदारी और सख्ती से लागू कर रही है, जिससे हज़ारों बच्चे शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं. यह प्रयास न सिर्फ बच्चों का भविष्य बदल रहा है, बल्कि एक समावेशी, शिक्षित और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की नींव भी मजबूत कर रहा है.
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